“राम ही तो करुणा में हैं, शान्ति में राम हैं
राम ही हैं एकता में, प्रगती में राम हैं
राम बस भक्तों नहीं, शत्रु की भी चिंतन में हैं
देख तज के पाप रावण, राम तेरे मन में हैं
राम तेरे मन में हैं, राम मेरे मन में हैं
राम तो घर घर में हैं, राम हर आँगन में हैं
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं !”
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